किसान और सांप की कहानी | The Farmer And Snake Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था । वह अपने खेतों में बहुत मेहनत करता था। लेकिन, उनके प्रयास व्यर्थ गए। उसके खेत के किनारे एक टीला था और टीले के पास एक पेड़ एक दिन तेज धूप थी किसान अपने खेत मे काम कर रहा था । तेज धूप होने के कारण कुछ देर बाद किसान के सिर में दर्द होने लगा किसान ने सोचा कि क्यों ना कुछ देर तक पेड़ की छांव में आराम कर लिया जाए वह पेड़ के पास गया और पेड़ के नीचे बैठ गया और थोड़ी देर बाद वह गहरी नींद में सो गया ।
कुछ देर बाद उसकी नींद खुली तो उसने देखा की टीले में एक बिल है और बिल में साँप पहले तो वह बहुत डर गया परन्तु कुछ देर बाद वह शांत हो गया और उस दिन से किसान उस सर्प को देवता मान उसकी पूजा करने लगा, अब किसान रोज उस पेड़ के नीचे आराम करने आता और उस सर्प के लिए घर से दूध लाता । और सर्प उस दुध को पी जाता।
The Farmer And Snake Story in Hindi |
एक दिन किसान, साँप के पास दूध भरा कटोरा रख के खेत मे काम करने लगा शाम के समय किसान घर जाने लगा तो उसे याद आया कि कटोरा तो साँप के बिल के पास है , तो उसने कटोरे को लेने के लिए टीले की ओर चल दिया बिल के पास पहुँचा तो वह हैरान हो गया उसने देखा कि उस कटोरे में एक सोने का सिक्का था और सर्प उस कटोरे के पास बैठा था किसान ने सोचा कि यह सिक्का सर्प ने दिया है इसलिए वह कटोरे को उठाया और हसी खुशी मन से घर चला गया।
उस दिन से किसान हर दिन दूध को सर्प के बिल के पास में रखना शुरू कर दिया, ताकि शाम को एक सोने का सिक्का मिल जाये। वह हर सुबह कटोरे में दूध रखता और शाम को एक सोने का सिक्का उसे मिल जाता।
एक दिन उस किसान को काम से शहर जाना था तो उसने अपने बेटे से कहा कि दूध लेकर वह खेत वाले टीले के पास रख दो। बेटा लालची था। बेटे ने दूध को टीले में रखा और दूसरे दिन आया तो देखा कि थाली में एक सोने का सिक्का है। किसान के बेटे ने मन ही मन सोचा कि इसके बिल में तो बहुत सारा सोना होगा क्यों ना इसे मारकर पूरा सोना ले लिया जाय यह सोच किसान के बेटे ने डंडे से सर्प पर प्रहार किया लकड़े के प्रहार से सर्प को थोड़ी चोट आई और सर्प तुरन्त अपने बिल में चला गया किसान के बेटे ने बहुत कोशिश की सर्प को बाहर निकालने की परन्तु सर्प अपने बिल से बाहर नहीं आया, शाम होने वाली थी तो किसान के बेटे ने सोचा कि कल इस टीले को खोदकर साँप को मार देगा और सारा सोना ले लेगा।
इधर सर्प किसान के बेटे को चोट नही पहुँचाना चाहता था क्योंकि वह किसान उसकी पूजा करता था और उसे देवता मानता था । इसलिए सर्प अपनी जान बचाने के लिए सोचा कि क्यों ना इस टीले को छोड़ कही दूसरी जगह चला जाय सर्प ने सुबह इस टीले को छोड़ने का विचार किया और सुबह होते ही उसने उस टीले को छोड़ दिया और जाने लगा थोड़ी दूर जाने के बाद किसान का बेटा भी उधर से अपने हाथ मे कुदाल लिए आ रहा था।
परन्तु किसान के बेटे ने उस सर्प को नही देख पाया और उसका पैर सर्प के ऊपर पड़ गया और सर्प ने तुरंत उसे काट लिया। आसपास किसी के ना होने की वजह से कुछ देर बाद किसान के बेटे ने दम तोड़ दिया और सर्प ने सोचा मैंने तो इसे जानबूझकर तो नही मारा हैं यह तो ईश्वर की मर्जी से हुआ है लेकिन क्या करे अब तो यह मर चुका है अब उसे किसी से परेशानी नहीं है तो वह वापस अपने टीले की ओर चल दिया और वही रहने लगा।